पहलगाम हमले के बाद भारत ने उठाए कड़े क़दम, पाकिस्तान को चेताया

तारीख: 23 अप्रैल, 2025
स्थान: नई दिल्ली, भारत

22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले के बाद भारत ने उठाए कड़े क़दम, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। बैसारन घाटी में पर्यटकों पर हुए इस भीषण हमले में 26 लोगों की मौत और 17 से अधिक घायल हुए — पहलगाम हमले के बाद भारत ने उठाए कड़े क़दम, जो पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो रहे हैं।

भारत सरकार ने इस हमले को सीमा पार आतंकवाद का स्पष्ट प्रमाण मानते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल संधि का निलंबन, अटारी-वाघा सीमा का बंद होना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा छूट रद्द करना, और राजनयिक संबंधों में कटौती शामिल हैं ।​

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया है। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन, ने इस हमले की निंदा की है और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है ।​

यह हमला 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत में सबसे बड़ा नागरिकों पर हमला माना जा रहा है, जिसने देश की सुरक्षा नीति और पाकिस्तान के साथ संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले में 27 लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई अहम रणनीतिक और राजनयिक कदम उठाए हैं। मृतकों में 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली पर्यटक शामिल हैं। हमले की जिम्मेदारी ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ नामक संगठन ने ली है, जिसे भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हिज़बुल मुजाहिदीन से जोड़ा है।

पहलगाम हमले के बाद भारत ने उठाए कड़े क़दम

  1. सिंधु जल संधि का निलंबन: भारत ने 1960 में पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। यह संधि अब तक दोनों देशों के बीच तमाम तनावों के बावजूद लागू थी।

  2. राजनयिक संबंधों में कटौती:

    • पाकिस्तान उच्चायोग के स्टाफ में कटौती: नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी गई है।

    • सैन्य सलाहकार निष्कासित: पाकिस्तान के रक्षा, नौसेना, वायु सेना और सैन्य सलाहकारों को ‘अवांछित व्यक्ति’ घोषित कर भारत छोड़ने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।

  3. वाघा-अटारी सीमा बंद: भारत और पाकिस्तान के बीच प्रमुख भूमि सीमा मार्ग वाघा-अटारी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे व्यापार और आवाजाही दोनों प्रभावित हुए हैं।

  4. वीज़ा पाबंदियां: SAARC वीज़ा छूट सुविधा को पाकिस्तान के नागरिकों के लिए रद्द कर दिया गया है। नए वीज़ा जारी करना भी रोक दिया गया है, और भारत में विशेष वीज़ा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है।

हमले की पृष्ठभूमि

22 अप्रैल 2025 को, कुछ आतंकवादियों ने सेना की वर्दी में आकर पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों पर गोलीबारी कर दी। इस भीषण हमले की न्यूज़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हमले में 27 लोगों की मौत हो गई और 17 लोग घायल हो गए। यह हमला 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत में सबसे बड़ा नागरिकों पर हमला माना जा रहा है। हमले को ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ नामक संगठन ने अंजाम दिया, जो जम्मू-कश्मीर में जनसंख्या संतुलन बदलने के भारत सरकार के कदमों का विरोध कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रतिक्रियाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों ने भी इस हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है।

पाकिस्तान की स्थिति और प्रतिक्रिया:

हमले के बाद पाकिस्तान की स्थिति जटिल हो गई है:

  • आंतरिक दबाव: अंतरराष्ट्रीय समुदाय और FATF जैसे निकायों की निगरानी पहले से ही पाकिस्तान पर है। इस हमले के बाद दबाव और बढ़ गया है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए।

  • राजनीतिक संकट: भारत के कड़े कदमों और राजनयिक संबंधों में गिरावट के चलते पाकिस्तान को क्षेत्रीय कूटनीति में अलग-थलग पड़ने का खतरा है।

  • आर्थिक प्रभाव: भारत द्वारा व्यापारिक मार्ग बंद करने और वीज़ा पाबंदियों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने की आशंका है, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।

  • अंतरराष्ट्रीय छवि: लगातार आतंकी घटनाओं से जुड़ने के आरोपों ने पाकिस्तान की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाया है, जिससे विदेशी निवेश और सहयोग प्रभावित हो सकता है।

निष्कर्ष:
भारत-पाकिस्तान संबंधों में यह एक और बड़ा संकट बनकर उभरा है। भारत के निर्णायक कदमों ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह अब आतंकवाद के मुद्दे पर नरम रुख नहीं अपनाएगा। पाकिस्तान के लिए यह समय आत्ममंथन और गंभीर अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही का है।

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